"पीछे पलटो और मेरी तरफ देखो," एक कड़कड़ाती हुई शांत आवाज़ सुनाई पड़ी।
खौफ और डर से अनिका धीरे से पीछे पलट गई और धीरे से अपनी नज़रों को उठा कर सामने खड़े आदमी की तरफ देखा। उसे कुछ धुंधला सा दिख रहा था क्योंकि आंखों में सिर्फ आंसू भरे हुए थे। उसने अपने आंसू पोछे और सामने ध्यान से देखा। एक लंबा चौड़ा आदमी अपनी पीठ अनिका की तरफ किए खड़ा था। वोह आदमी इसलिए पलटा था क्योंकि वोह दरवाजा बंद कर रहा था। दरवाज़ा बंद होते ही अनिका डर से कांप गई और पैर लड़खड़ाते हुए पीछे की तरफ कदम बड़ गए। उसने अपने आप को अपने दोनो हाथों से क्रॉस की तरह ढक लिया। वोह अपनी डरी हुई आंखों से उस आदमी की पीठ की तरफ देख रही थी, और ना जाने किस चीज़ का इंतजार कर रही हो।
जैसे ही वोह आदमी पलटा, अनिका को लगा मानो किसी ने उससे सांसे खीच ली हो, उसे हवा की कमी महसूस होने लगी। वोह ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी। वोह आदमी देखने में बहुत ही बड़ा था। और उससे ज्यादा इंपोर्टेंट बात यह थी की वोह आदमी जिस तरह से अनिका को देख रहा था मानो एक फूंक से ही अनिका को मार डालेगा। दिन के उजाले में, वोह आदमी किसी मॉन्स्टर जैसा नही लगता था, पहली बार देखने में.... उससे भी कई ज्यादा खतरनाक। उस आदमी ने सलीके से कपड़े पहने हुए थे। वोह बहुत ही हैंडसम और गुड लुकिंग था। उसकी उम्र लगभग अनिका की उम्र के आस पास की थी।
उस आदमी ने कमरे में चारों तरफ अपनी नज़रे घुमाई। पूरा कमरा तहस नहस हो रखा था। उसने बेरुखी से अनिका की तरफ देखा। अनिका को लग रहा था की वोह आदमी गुस्से में होगा लेकिन ऐसा नहीं था।
उस आदमी ने काफी देर तक कुछ नही कहा, बस ऐसे ही अनिका की तरफ देखता रहा। काफी देर बाद उसने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा, "तोह तुम हो मेरी होने वाली दुल्हन।"
'दुल्हन' नाम शब्द ने ही मानो अनिका को तोड़ दिया, मानो उसका ब्लड सर्कुलेशन ही रुक गया हो। वोह बुरी तरह डर से कांप गई।
"गॉड! यह क्या हो रहा है मुझे। मैं क्यों इतना डर रही हूं।"अनिका जानती थी की वोह अपनी लड़ाई ऐसे ही बीच में नही छोड़ सकती थी, ऐसे ही कोई उससे जबरदस्ती नहीं कर सकता। वोह प्रॉब्लम सॉल्व करने में विश्वास रखती थी, उसे बढ़ाने में नही। अपनी लाइफ में उसने कितने लोगों को अपनी सोच से, अपने नज़रिए से, प्रभावित किया था। वोह एक लॉजिकल थिंकर थी और अपनी लाइफ में ज्यादा तर जीत ही हासिल की थी लोगों को समझाने में, उन्हे मनाने में। वोह उस आदमी को भी तोह कनविंस कर सकती थी जो उसके सामने खड़ा उससे शादी करने वाला था की वोह उसे जाने दे।
"मुझे यह सब नही चाहिए," अनिका ने फुसफुसाते हुए कहा। उसके गले से आवाज़ ही नही निकल रही थी। उसने अपनी नज़रों को सामने खड़े आदमी पर टिका दी। "प्लीज़, ये शादी रोक दो," उसने विनती करते हुए कहा।
उस आदमी ने कुछ नही कहा और ना ही कुछ रिएक्ट किया।
"मैं यह शादी नही चाहती," उसने दुबारा कहा। "हम कोई दूसरा सॉल्यूशन ढूंढ सकते हैं। हम अगर सोचेंगे तोह जरूर इसका कोई न कोई हल......." अनिका की आवाज़ निकलना ही बंद हो गई जब उसने अपने सामने खड़े आदमी को अपने होंठों को ज़ोर से दबाते देखा। वोह आदमी अब अनिका की तरफ बढ़ने लगा था।
अनिका की सांसे तेज़ हो गई। उसका दिल जोरों से धड़कने लगा। उसका मन करने लगा की वोह ज़ोर ज़ोर से चिल्लाई और डर से यहां से भाग जाए। पर उसने अपने आप को संभाले रखा और वहीं खड़ी रही उस आदमी की आंखों में आंखें डाल कर।
अपने लड़खड़ाते होंठों से उसने दुबारा बोलने की कोशिश की, " मैं तुम्हारी दुनिया से नही हूं। मैं इस जगह से भी नही हूं। मुझे मेरी फैमिली के पास वापिस जाने दो।"
जैसे ही उसने बोलना बंद किया उसे याद आया की वोह जिस जगह खड़ी है, ये जगह इंसानों के लिए नही है, यहां कोई रूल्स, कोई शिष्टाचार, इंसानियत, किसी चीज़ की कोई जगह नहीं है।
वोह आदमी उसके करीब आया। वोह इतना नज़दीक खड़ा था जिससे अनिका को अनकंफर्टेबल महसूस ना हो। अनिका को उसे देखने के लिए अपनी गर्दन और नज़रे दोनो ऊपर की तरफ करनी पड़ी। जैसे ही उसकी नज़रे उस आदमी की नज़रों से मिली, उसने उस आदमी की नज़रों से अपने आप को ढाका हुआ महसूस किया। उस आदमी की नज़रे अभी भी अनिका पर थी और चेहरे के भाव ऐसे थे जैसे कितनी नफरत करता है वोह उससे।
"हम इसलिए शादी कर रहें है क्योंकि 'तुम्हारी प्यारी फैमिली' ने मेरे सामने गिड़गिड़ाते हुए कहा है ऐसा करने को। अब तुमने या तुम्हारी फक्किंग फैमिली ने कुछ किया आज शादी के दौरान, या शादी से पीछे हटे, तोह मैं किसी को नही छोडूंगा।" उसने इस तरह से 'तुम्हारी फैमिली' पर ज़ोर दिया था जैसे वोह कोई श्राप हो।
धीरे धीरे उस आदमी की नज़रे अनिका के कपड़ो पर दौड़ने लगी। अनिका इस वक्त शादी के जोड़े में खड़ी थी।
"कोई भी....आज.... हमारी शादी....नही रोक सकता। आज तुम मेरी वाइफ बन जाओगी," उस आदमी ने जैसे कसम खाते हुए कहा।
उसकी बातें सुनते ही अनिका के पैरों से मानो ज़मीन ही खिसक गई। वोह घुटने के बल नीचे गिर पड़ी। वोह हार गई, ऐसा उसे महसूस हो रहा था।
"वोह कैसे अपने आप को इस जाल में इस नर्क में फसा छोड़ सकती थी। आवेग में आके उसके एक गलत निर्णय ने, आज उससे सब कुछ छीन लिया था।"
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